शासन के निर्देशानुसार आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन सर्वोदय पीजी कॉलेज, घोसी, मऊ में प्राचार्या प्रोफेसर वंदना पांडेय की अध्यक्षता में किया गया जिसमें आपातकाल का स्मरण करते हुए उससे जुड़ी विपत्तियों एवं त्रासदियों से विद्यार्थियों को अवगत कराया गया। प्रोफेसर वंदना पांडेय ने कहा कि 1975 में लागू आपातकाल देश में एक काले अध्याय के रूप में जुड़ गया है। आपातकाल में नागरिक अधिकारों को स्थगित करते हुए देश और विपक्ष के कई नेताओं को जेल में डाल दिया गया। उन्होंने कहा कि आपातकाल का स्मरण गहन चिंतन और लोकतांत्रिक तथा संवैधानिक मूल्यों के प्रति नई प्रतिबद्धता का अवसर है। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए वक्ता डॉक्टर शैलेंद्र कुमार पांडेय ने आपातकाल की अवधारणा स्पष्ट करते हुए संविधान में निहित तीन प्रकार की आपात स्थितियों की चर्चा की उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 356 के आधार पर 1975 में घोषित आपातकाल में लोकतांत्रिक व संवैधानिक मूल्यों को रौंद दिया गया। प्रेस और मीडिया की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित कर दिया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉक्टर संजय कुमार राय ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकतांत्रिक मूल्यों की उपेक्षा करते हुए आपातकाल लगाया इसके विरोध में देश भर में आंदोलन शुरू हो गया। पुरुषों की जबरदस्ती नसबंदी कराई गई। इस अवधि में अनुच्छेद 20 एवं 21 को छोड़कर नागरिकों के समस्त मौलिक अधिकार प्रतिबंधित कर दिए गए। इस अवसर पर संतोष कुमार राय, उदय प्रताप, नितिल श्रीवास्तव, अजय मिश्र, अमरनाथ जयसवाल, चंदन मिश्र आदि शिक्षक एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे।
9जुलाई को वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम के अंतर्गत आज दिनांक 04/07/2025 को घोसी स्थित पद्मिदाड पौधशाला से 300पौधे प्राप्त किये गए |